तीसरी कडी
नन्द किशोर जोशी
माणिक घोष बजार स्थित मारवाड़ी क्लब मैदान में कई खेल अलग अलग जगह खेले जाते थे एक समय पर.मसलन कुश्ती ,कसरत होता था अखाडे में .इस अखाडे में मिट्टी भरी होती थी.रोज पहलवान लोग इसे आकर सर्वप्रथम खोदा करते थे फावडे से.तेल मालिस दंड बैठक भी खूब हुआ करती थी यहाँ.पहलवानों के साथ साथ बच्चे भी खूब सरसों तेल मालिस किया करते थे उन दिनों.
सरसों तेल मालिस पश्चात अखाडे में हर दिन कुश्ती हुआ करती थी.कुश्ती को देखने में बडा आनंद आता था.रोज सुबह कुश्ती को देखने के लिए ताँता लगा रहता था.यह अखाडा क्लब के उत्तर पश्चिमी क्षोर पर था.कमानी और साँगानेरिया बिल्डिंग के सटकर. इस अखाडे की छत टिने की थी.कई पिलर्स थे ,जिन पर टिन विराजमान थीं.आज़ वहाँ टिन छत नहीं है,अखाडा भी नहीं है.ठीक इसी जगह अखाड़े को तोडकर एक पक्का स्टोर रुम बना लिया गया है.यहाँ कुछ भी अखाड़े की स्मृति बची नहीं है.
मारवाड़ी क्लब के दूसरे छोर पर यानि उत्तर पूर्वी हिस्से में वोलीबोल खेल हुआ करता था. इसके लिए दो लोहे के मजबूत खंभे गडे थे वोलीबोल की जाली को बाँधने के लिए. वोलीबोल मैदान का यह हिस्सा क्लब के होल और क्लब के शौचालय के बीच का हिस्सा हुआ करता था.
इन दोनों खेलों के अलावा मारवाड़ी क्लब में उस समय कबड्डी खेल भी हुआ करता था.कबड्डी खेल अखाडे और वोलीबोल मैदान के बीच के बचे बडे हिस्से में हुआ करता था.इन तीनों खेलों से मारवाड़ी क्लब में शुरुआत हुई खेलों की 1950 में.आगे जाकर मारवाड़ी क्लब में और भी बहुत सारे खेल जुडते हुए चले गये तथा खिलाड़ियों की संख्याओं में भी उसी अनुरूप इजाफा होने लगा.क्रमशः