ओडिशा में खेलों की आन बान शान रहा कटक मारवाड़ी क्लब स्वर्णिम काल 1950 से 1977

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दूसरी कडी

नन्द किशोर जोशी

मैंने पहली कडी में उल्लेख किया था कि मारवाड़ी समाज के महानुभावों ने मारवाड़ी क्लब की स्थापना में इसके बहुआयामी, बहुउपयोगी उद्देश्य देखे होंगे. लेकिन उनका मुख्य ध्येय था कि समाज के युवाओं में खेलकूद की भावना बढे,समाज के अंदर खेलकूद का समुचित विकास हो . खेलकूद के साथ उन्होंने सामाजिक मेल मिलाप ,धार्मिक कार्यक्रम का बडे और सामूहिकता संग आयोजन करना इत्यादि भावना से ही क्लब की स्थापना की होगी, ऐसी जानकारी मिल रही है.

1950 से ही मारवाड़ी क्लब में स्थापना समय से ही खेलकूद आऱंभ होगया था.खेलकूद में युवा  धीरे धीरे रुचि भी लेने लग गये थे. खेल भी जोर पकड रहा था. बीच बीच में मारवाड़ी क्लब के होल और मैदान में सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित होते रहते थे.एक साल में करीब  तीन चार सप्ताह ऐसे कार्यक्रम हुआ करते थे.लेकिन मुख्य हमेशा खेलकूद ही हुआ करता था. साल या दोसाल में एक बार सामूहिक रामायण पाठ होता था 9 दिन ब्यापी.10 वें दिन अखंड हनुमान चालीसा पाठ होता था.11 वें दिन ठाकुरजी का विसर्जन होताथा 1985 तक.

उस संक्षिप्त समय मैदान में खेलकूद नहीं होता था.इसी मारवाड़ी क्लब में ही ओडिशा में सर्वप्रथम सामूहिक श्रीरामचरित्र मानस पाठ प्रारंभ हुआ था.तत्पश्चात यहाँ से सारे ओडिशा में सामूहिक श्रीरामचरित्रमानस पाठ पहुंचा. यहाँ आरएसएस के ओटिसि कैंप में दूसरे सरसंघचालक “गुरुजी ”  पधारे हुए हैं.मैंने उनको मारवाड़ी क्लब में देखा है ,1967 -68 के आसपास. उस समय मैं स्कूल में पढता था,क्लब में रोज स्कूल पश्चात जाता था ,खेलने के लिए.

मैंने मारवाड़ी क्लब के होल में प्रजापिता ब्रहमकुमारी का ओडिशा शुभारंभ भी देखा ,1973 में.इसके पश्चात ओशो कार्यक्रम भी स्कूल के समय देखा. इसतरह मारवाड़ी क्लब में कई बडे कार्यक्रम मैंने देखा है. कईबार श्रीरामचरित्रमानस का  आयोजन होनेसे ,भारत के अनेक साधुसंतों को ,महात्माओं को लोगों ने सुना और पुण्य कमाया. इसीलिए मारवाड़ी क्लब को लोग आदर से पुण्य भूमि, तपोभूमि भी
कहते हैं.श्रीगोपीनाथ मंदिर की यह जगह होने के कारण इसे श्रीगोपीनाथ मंदिर प्रांगण भी कहते हैं.

अब मैं खेलकूद की बातों पर आताहूँ.खेलकूद में यहाँ बराबर
कबड्डी, बास्केटबॉल, वोलीबोल,बैडमिंटन, संध्या समय कई बार फुटबॉल इत्यादि हुआ करते थे. अखाडे में माटी कुश्ती का आनंद ही कुछ और था.सुबह तीन घंटे करीब यहाँ जमघट लगा रहता था.उसी समय गौशाला का दूध भी यहाँ बिकने के लिए आताथा रोज.उससे भी जमघट में इजाफा हुआ करता था.धीरे धीरे समाज में खेलकूद लोकप्रिय होते गये,खेल के प्रति लोगों में जुडाव बढता गया, कटक में खेल के मामलों में लोगों के बीच मारवाड़ी क्लब का आकर्षण बढता ही गया. क्रमशः….

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