कश्मीर पर आतंक का साया 1987 से 2020, अभी तक जन्म, विकास और अंतिम साँस 12 वीं कडी

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नन्द किशोर जोशी

नरेंद्र मोदी के 2019 मई महीने में दुबारा सत्ता में आते ही कश्मीर एक बार सरकार के फोकस में चला आया. इसबार मोदी ने अपने करीबी अमित शाह को केंद्र में गृहमंत्री बनाया. पहले के गृहमंत्री राजनाथ सिंह को रक्षामंत्री पद पर बिठाया.

जून जुलाई आते आते जम्मू कश्मीर में सैन्यकर्मियों की संख्या लगातार बढते चली गयी.कश्मीर के नेताओं की शंका बढने लगी कि जरूर कुछ नया होने वाला है.
कश्मीरी नेतागण बडी सोच में डूब गये. वहां तरह तरह के कयास लगने लग गये कि कुछ जरूर बडा होने वाला है.

इसी उधेड़बुन में नेशनल कोंन्फ्रेंश के फारुख अब्दुल्ला और उनके बेटे ओमर अब्दुल्ला ने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. मुलाकात में उन्हें
मोदी से यह जानना चाहा कि कश्मीर में किस वजह से बडी संख्या में सैनिकों, अर्धसैनिकों को भेजा जारहा है.मोदी ने उन दोनों पिता पुत्र की बात धीरज से सुनली ,लेकिन बदले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इससे वे दोनों
और भी आशंकित होकर कश्मीर वापस लौट गये.

उधर कश्मीर में मेहबूबा मुफ्ती ने बडा ही तीखा बयान जारी किया कि अगर कश्मीर में कुछ भी वर्तमान बने नियमों के विरुद्ध कैंद्र सरकार करती है तो , उसका
सारा खामियाजा कैंद्र सरकार को भुगतना पडेगा. पूरे कश्मीर घाटी में कोई भारत का तिरंगा हाथ में उठाने वाला नहीं मिलेगा. मेहबूबा मुफ्ती के इस बयान में उनकी तरफ से भारत सरकार को धमकी साफ दिखाई देरही है.

आखिरकार वह समय आया , जिसका बहुतों को बहुत वर्षों से इंतजार था. केंद्र गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त, 2019 को लोकसभा में एतिहासिक बिल पेश किया , इस बिल में स्पष्ट लिखा है कि भारत सरकार पूरे जम्मू कश्मीर से 370 धारा और इसकी एक उपधारा 35 ए हटायेगी.

लोकसभा में इस बिल को पेश करने के समय एनडिए के साँसदों ने इसका जोरदार समर्थन किया. कुछ अन्य राजनीतिक दल जैसे बिजु जनता दल, टि आर एस, वाइएसआर कांग्रेस, तामिलनाडु की अन्नाद्रमुक दल ने
भी इस बिल का पूरजोर तरीक़ों से समर्थन किया.

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध किया. बिल बहुमत से लोकसभा में पास हुआ. जम्मू कश्मीर राज्य एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया. लद्दाख जम्मू कश्मीर से अलग होकर वो भी एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया, जो इसकी बहुत पुरानी माँग थी. क्रमशः

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