नन्द किशोर जोशी
1974 से बिहार में जय प्रकाश नारायण ने जोरदार सरकार विरोधी, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन खडा किया था.इस एतिहासिक आंदोलन को हमारे देश में जेपी मूवमेंट के नाम से लोग जानते हैं. इस आँदोलन के समय बिहार से दो छात्र नेता निकले, दोनों ने काफी सुर्खियां मीडिया में बटोरी. एक का नाम है लालू यादव और दूसरे का नाम है भाजपा के सुशील मोदी. आँदोलन पश्चात दोनों की राहें जुदा हुई,सुशील मोदी जनसंघ में चले गये ,जिसका आज का नाम है भाजपा. दूसरे लालू यादव जनता दल में चले गये,फिर वहाँ से निकल इन्होंने अपना दल तैयार किया, जिसका नाम है ,राष्ट्रीय जनता दल या आरजेडी. लालू यादव काँग्रेस विरोध की राजनीति में अग्रणी रहे बिहार में. तीन बार वे स्वयं बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उसके पश्चात उनकी पत्नी तीसरी कक्षा पास राबड़ी देवी रही मुख्यमंत्री बिहार की. इस बीच में जितनी बार लालू राबड़ी दंपति का शासन रहा बिहार में,विकास का कोई काम नहीं हुआ.सिर्फ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार होता रहा बेहिसाब बिहार की धरती पर.
लालू ने पिछडों के नाम पर खूब वोट लिए लोगों से, अगडों को खूब खरी खोटी चुनाव के समय सुनाते रहे , चुनाव पश्चात जमीन पर विकास कार्य शून्य रहा. ऐसा चलता रहा अनेक साल. इसीबीच लालू स्वयं गौखाद्द चारा घोटाले में फँस गये, केस में नामजद हुए,अंत में कोर्ट से सजा पाकर राँची जेल में सजा भोग रहे हैं. लालू की आरजेडी ने पिछली बार 2015 में नीतीश की पार्टि जनता दल (यू) से समझौता किया और
महागठबंधन बनाये. यही महागठबंधन बिहार में सत्ता में आयी.
इसी महागठबंधन में नीतीश मुख्यमंत्री बने और आरजेडी से लालू कनिष्ठ पुत्र तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने. सरकार करीब तीन साल ठीक ठाक चली. लालू वरिष्ठ पुत्र तेज प्रताप यादव बिहार के स्वास्थ्य मंत्री केबिनेट हुए. बीते अनेक चुनावों में लालू यादव
की लालटेन बिहार में खूब चली,खूब जली.पिछले करीब 2 साल के पहले जब लालू राँची में जेल में सजा काट रहे थे, उसी समय अनेक बातों को लेकर लालू नीतीश के महागठबंधन में महा दरार पडी,तेजस्वी यादव,तेज प्रताप यादव मंत्री मंडल में नहीं रहे,इसके उलट नीतीश एक बार फिर भाजपा संग हाथ मिलाकर नया मंत्री मंडल बनाये.तेजस्वी यादव की जगह सुशील मोदी भाजपा की ओर से उपमुख्यमंत्री हुए.
अब चुनाव बिहार में 4 महीना पश्चात आसन्न है.लालू यादव राँची में जेल की सलाखों के पीछे हैं, चारा घोटाला केस में. लालू की आरजेडी में फूट है.लालू के परिवार में भी अशांति है.ऐसे में लालू की आरजेडी दिनों दिन कमजोर पडती दिखाई देरही है. कई लालू के पुराने साथी दल छोड कर जाचुके हैं,कई जाने की राह देख रहे हैं. इन सारे हालातों के मद्देनजर बिहार में नवंबर में चुनाव होने हैं. लालू की आरजेडी ने अभी से यानि चुनाव पहले से ही हथियार डाल दिये हैं. तेजस्वी यादव का कहना है कि अभी बिहार में कोरोना चल रहा है,बिहार कोरोना से त्रस्त है,अतः
बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर में नहीं कराया जाये.नवंबर से बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाये. उनका कहना यह भी है कि जब कोरोना से बिहार की हालात सामान्य हो ,तभी विधानसभा के आम चुनाव करवाया जाये, अर्थात लालू पुत्र ने बिना चुनाव लडे ही हार स्वीकार करली है.इसका मतलब यह हुआ कि लालू का लालटेन चिन्ह चुनाव में जाने के पहले ही बुझगया.