जाने सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट, 2000 में सेक्शन 69 A क्या है ? इस एक्ट से ही बंद होती है ऑनलाइन ..

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सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का सेक्शन 69 A केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने और साइबर अपराधी को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है. यह प्राथमिक कानून है जो भारत में साइबर अपराध और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के ममलों से निपटता है. हाल ही में, भारत सरकार ने आईटी अधिनियम की इस धारा का हवाला देते हुए 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसे और पढ़ें –

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 भारत की संसद द्वारा 9 जून 2000 को लागू किया गया था और यह 17 अक्टूबर 2000 से लागू है. इस बिल को उस समय के सूचना और प्रौद्योगिकी  मंत्री प्रमोद महाजन ने संसद में पेश किया था.

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 A, केंद्र सरकार को ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक करने और साइबर अपराधी को गिरफ्तार करने का अधिकार देती है. यह कानून भारत में साइबर-अपराध और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के मुद्दों से निपटने के लिए प्राथमिक कानून है

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 A ने केंद्र सरकार को कई शक्तियां दी हैं. इस  अधिनियम के सेक्शन को नीचे दिया गया है;

1. सोशल मीडिया और किसी अन्य वेबसाइट पर आपत्तिजनक सामग्री को हटाने के लिए दिशा निर्देश जारी करना. गृह मंत्रालय ने 20 दिसंबर, 2018 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें दस केंद्रीय एजेंसियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी कंप्यूटर में एकत्रित सामग्री को मॉनिटर करें, प्रसारित होने से रोकें और जरूरी होने पर डिकोड करें.

भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, भारत की रक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन सामग्री को ब्लॉक कर दे. या इन सबको नुकसान पहुँचाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लें.

2. जिन वेबसाइट को जनता के लिए ब्लॉक किया जायेगा उन्हें पूरी प्रक्रिया और नियमों के तहत ही ब्लॉक किया जायेगा और अन्य सुरक्षा उपायों का भी ध्यान रखा जायेगा.

3. जारी किए गए दिशा-निर्देशों (उपधारा 1) का अनुपालन करने में विफल रहने वाले संबंधित अधिकारियों को सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है और जुर्माना भी देना होगा.

कुछ राजनीतिक दलों ने निजता के मौलिक अधिकार के उल्लंघन के आधार पर इस एक्ट को चुनौती दी थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में दिए गए निर्णय में आरोप को खारिज कर दिया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्र एक इंटरनेट साइट को ब्लॉक करने के निर्देश (राष्ट्रीय सुरक्षा इत्यादि से सम्बंधित मामलों में) जारी करने के लिए अपनी शक्ति का प्रयोग कर सकता है. न्यायालय ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यक्तिगत निजता से ऊपर है.

जैसा कि हम जानते हैं कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 केंद्र सरकार को फोन टैप करने की अनुमति देता है. सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में एक फैसला दिया था और कहा था कि सरकार केवल “सार्वजनिक आपातकाल” के मामले में फोन टैप कर सकती है. लेकिन आईटी एक्ट के सेक्शन 69A के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.

हाल ही में भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 A के प्रावधानों का हवाला देते हुए 59 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है. केंद्र ने पाया कि ये एप भारत  के लोगों का गोपनीय डेटा इकठ्ठा कर रहे थे.

अतः यह बात स्पष्ट है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 A, देश में साइबर अपराध को रोकने से साथ साथ देश की महत्वपूर्ण जानकारी का विदेशी शक्तियों द्वारा दुरूपयोग रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है.

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