- करुणामय रुप प्रकट करनेकी
ईश्वर के मन में आई
तब माँ की मूरत बनकर के
ईस धरा पटल पर है आई ।। - जब प्रेम,कृपा,करुणा मिलते
तब माँ की मूरत बनती है
कभी खत्म नहीं होनेवाली
ममता हृदय में रहती है।। - जब चैन मुझे ना पड़ता था
और शाम मुझे ना भाती थी
उसकी मीठी लोरी सुनकर
मुझे नींद सुहानी आती थी।। - माँ के आँचल में सारे सुख
और गोद स्वर्ग सी लगती थी
उसकी प्यारी प्यारी पलकें
पीपल की छाया लगती थी।। - मैं उसके दिल का टुकड़ा था
वो आँख की मेरी ज्योति थी
मैं हँसता था वो हँसती थी
मैं रोता तो वो रोती थी।। - जब छोटी सी भी एक चोट
मे रे तन को लग जाती थी
आँखों में पानी होता था
वो पीड़ा से भर जाती थी।। - मैं स्कुल जब चल जाता था
मेरी राह निहारा करती थी
और प्यार भरे हाथों से मुझको
खूब खिलाया करती थी।। - माँ के पावन चरणों में
सारे मंदिर और देवालय है
मस्जिद,गिरिजाघर,गुरुद्वारा
सब तीरथ और शिवालय है।। - माँ के चरणों में फुलवारी
माँ के चरणों में जन्नत है
माँ के चरणों की सेवा से
सब होती पूरी मन्नत है।। - चँदन सी शीतलता मिलती
केवल माँ के ही आँचल में
जिस घर में माँ खुश रहती है
तो कल्प वृक्ष है आँगन में।। - ऐसी सुंदर,कोमल माँ से
जो बेटा करता प्यार नहीं
उसे माँ दुर्गा के मंदिर में
है जाने का अधिकार नहीं।।
अंतर्राष्ट्रीय माँ दिवस के उपलक्ष्य में श्री पुरुषोत्तम अग्रवाल की कविता
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