कहीं नवीन की दिल्ली पर तो नजर नहीं ! प्रकरण 2

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नन्द किशोर जोशी

ओडिशा के सर्वाधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की जन्मभूमि कटक है. इनका पैतृक निवास ‘आनंद भवन’ तुलसीपुर इलाके में बिजु पटनायक छक के पास है.

नवीन का लालनपालन दिल्ली में हुआ. दिल्ली में ही नवीन की शिक्षा हुई. वहाँ लुटियंसजोन में औरंगजेब रोड पर इनका बंगला है. वहीं नवीन अपने बडे भाई प्रेम पटनायक ,बहन गीता और माता ज्ञान पटनायक संग रहते थे. नवीन
के पिता बिजु पटनायक प्रायः भुवनेश्वर में नवीन निवास में रहते थे.

राजनीति कार्य से बराबर बिजु पटनायक का अक्सर दिल्ली जाना होता था. नवीन कि शिक्षा और निवास दिल्ली में होने के कारण नवीन की हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा पर अच्छी पकड है.

नवीन स्वयं 3 पुस्तकें भी अंग्रेजी भाषा में लिख चुके हैं. नवीन एक अच्छे पुस्तक प्रेमी भी हैं.अंग्रेजी की पुस्तकें खरीद कर पढना इनका एक अच्छा शौक है.

पिता बिजु पटनायक के मरणोपरांत नवीन 1990 के दशक में दिल्ली छोड ओडिशा आये. ओडिशा के तत्कालीन बिजु जनता दल के तमाम बडे नेताओं के आग्रह पर एवं माताजी ज्ञान पटनायक के आदेशानुसार दिल्ली छोड राजनीति करने भुवनेश्वर आये.

नवीन ओडिशा आकर गंजाम के आस्का लोकसभा चुनाव क्षेत्र से अपनी जिंदगी के पहले चुनाव में खडे होकर चुनाव जीते. यहाँ तक कि नवीन अटल बिहारी वाजपेयी
के समय 2 साल केंद्र में इस्पात , खनिज मंत्री का पदभार भी संभाले हुए हैं. उस समय बिजु जनता दल और भाजपा में ओडिशा में समझौता था.दोनों संग मिलकर ओडिशा में आम चुनाव लडे थे 1998 में लोकसभा का.

2000 के ओडिशा विधानसभा चुनाव में बिजु जनता दल और भाजपा संग में चुनाव लडे थे और मिलित मंत्री मंडल बनाथा बिजु जनता दल और भाजपा के बीच में नवीन के नेतृत्व में.

पुनः 2005 के आम चुनाव में नवीन एक बार फिर बिजु जनता दल और भाजपा की मिलित मंत्री मंडल के नेता बन मुख्यमंत्री का पद भार ग्रहण किये.

2009 के लोकसभा चुनाव के संग नवीन ने चतुरता से ओडिशा मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर ओडिशा विधानसभा भंग की सिफारिश कर दी, राज्यपाल को
त्याग पत्र देते समय. परिणाम स्वरूप ओडिशा विधानसभा का मध्यावधि चुनाव हुआ. नवीन अकेले अपने दम पर चुनाव लडे भाजपा से अलग होकर और शानदार बहुमत के साथ जीत कर आये तथा ओडिशा में तीसरी बार
मुख्यमंत्री की पद की शपथ ली.

बस यहीं से नवीन के राजनीतिक जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव आया और वे ओडिशा तथा देश की राजनीति में आगे ही आगे बढते गये . यह उनके बढने का सिलसिला आज भी जारी है.
क्रमशः

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