भारत में लोकडाउन पर विशेष
देश को तीन जोनों में बाँटने की है
तैयारी
ग्रीनजोन में अधिकांश बंदिशें कम
करने की है तैयारी
ओरेंजजोन में बंदिशें कम होंगी
आधी अधूरी
रेडजोन में बंदिशें रहेंगी पूरी पूरी
नन्द किशोर जोशी
आजकल भारत समेत सारे विश्व में केवल एक ही चर्चा है कोरोना भाइरस की. दूसरी कोई चर्चा करीब डेढ महीने से मीडिया में है ही नहीं. ऐसे में जब कोरोना की चर्चा हो और लोकडाउन की चर्चा नहीं हो, होही नहीं सकता. दोनों में
चोली दामन का साथ है.
लोग हमें फोन कर ,मुलाकात होने पर पूछते हैं लोकडाउन कब हटेगा ? सबकी चिंता भी लोकडाउन में अलग अलग है. एक कामगार की चिंता है , उसके रोजगार की. वहीं दूसरी ओर ब्यापारी की चिंता है धन बढाने की.
दोनों ही लोकडाउन में लोक की हालात में हैं.मजबूर मजदूर बिना बस या ट्रेन के कर्मक्षेत्र में जा नहीं सकता. वहीं दूसरी ओर होलसेल और सेमिहोलसेल ब्यापारी इसलिए परेशान हैं कि बाहर गांव से बसों द्वारा छोटे ब्यापारी बडे शहरांचल में नहीं आपारहे हैं. वहीं
ब्यपारियों की एक ओर मुसीबत है कि बसों द्वारा उनका माल का आवागमन जो होता था, वो आजकल हो नहीं पारहा है. मजदूर बेचारा अपनी मजबूरी बोल देता है, वहीं चतुर ब्यापारी अपनी तकलीफ हर कोई को बोल नहीं सकता.
भारत के संदर्भ में देखा जाये तो हमें देखने को मिलेगा कि हमारा देश भारत दुनिया में सबसे बडा उत्सव प्रधान देश है. यहाँ कुछ न कुछ त्योहार साल भर चलते ही रहते हैं.
भारत में चूँकि गणतंत्र शासन है, अतः शासन को जनता के हित में हमेशा चौकन्ना रहना स्वाभाविक प्रक्रिया है. ऐसे में भारत में आबादी के हिसाब से मुस्लिम हमारे देश में दूसरी सबसे बडी आबादी है.
मुसलमान लोगों का पवित्र रमजान महीना आजकल चल रहा है. करीब बीस बाइस दिन के पश्चात उनका बडा त्योहार इद है. इद के पावन मौके पर मुसलमान सारे देश भर में अच्छी खरीदारी करते हैं.
उन्हें खाद्द सामग्रियां चाहिए, उन्हें नये नये कपडे चाहिए इद के पावन मौके पर. उन्हें गिफ्ट्स भी चाहिए आपस में देने लेने के लिए. अतः गणतांत्रिक सरकार का फर्ज बनता है , उनके इस नेक कार्य में सहयोग करना. इसलिए एक बडा कारण है कि सरकार ग्रीनजोन में पूरी और ओरेंजजोन में आधी अधूरी लोकडाउन की बंदिशें हटाने की सक्रियता से मन बना रही है. ऐसा होने पर सरकार
को दोहरा लाभ है.
एक लाभ तो यह है कि मुसलमानों में यह संदेश सरकार
देना चाहती है कि भाजपा सरकार मुसलमानों की हितों की रक्षा के लिए लोकडाउन में भी सक्रियता से काम कर रही है.
इसी संबंध में दूसरा लाभ यह है कि लोकडाउन को ग्रीनजोन और ओरेंजजोन में काफी ढील देने से
क्रेता और बिक्रेता दोनों को लाभ होना है, अर्थात अर्थनीति को पटरी पर लाने की भी कवायद होगी. अर्थात सरकारी खजाने में भी वृद्धि होगी ही.
दूसरा कारण है लोकडाउन में ढील देने का यह कि अब देश के बाहर से लाखों मजदूर स्वदेश
वापसी करेंगे. उनको जलमार्ग व हवाई मार्ग से खाडी देशों से सरकार लाने का प्रयास कर रही है.यह भारत का बहुत बडा वतनपरस्ती लोगों को वतन वापसी का अभियान होगा.
इसके अलावा विदेशों में भारतीय विद्दार्थियों को जो लोकडाउन में फँसे हुए हैं उनको भी भारत में वापसी के लिए सरकार मन बना रही है.ऐसेमें लोकडाउन में ढील
देना दोजोनों में अपरिहार्य है.
इनके अलावा विदेशों में भारतीय सैलानी जो फँसे हुए हैं, उनकी वापसी की भी सरकार योजना बना रही है.
इन सब कार्यों के लिए सरकार ग्रीनजोन और ओरेंजजोन में काफी ढील देनेकी एक दो दिन में तैयारी कर रही है, ऐसा संकेत बारंबार क्षमता गलियारे से मिल रहा है.
एक और विशेष बात यह भी है कि केरल के काफी लोग खाडी देशों में कार्यरत हैं. इद के मौके पर इसी महीने वे बडी संख्या में स्वदेश वापसी चाहते हैं. अतः सरकार चाहेगी उनकी वतन वापसी जल्द से जल्द. इसलिए भी लोकडाउन में काफी ढील दिये जाने की बात समझ आरही है.
अब मैं ओडिशा के संदर्भ की बात करता हूँ. मुसलमान ओडिशा में भी बडी संख्या में रहते हैं. यहाँ भी इद की खरीदारी खूब होती है.अतःओडिशा सरकार ओडिशा
में लोकडाउन में काफी ढील देने की 3 मई के उपरांत सोच रही है.
इसके अलावा ओडिशा में मई महीने में सावित्री अमास्या आयेगी. इसके लिए साडी वगैरह की खरीदारी बहुत होती है. सरकार चाहेगी जनता के इस त्योहार में लोग आसानी से अपनी खरीदारी कर सकें. अन्यान्य चीजों की भी खरीदारी इस समय होती है.
जून में ओडिशा का बडा पर्व है रज. इस में प्रवासी ओडिया लोग घर में परिवार संग रहकर आनंद
की प्राप्ति करते हैं. बच्चों के लिए नये नये पोशाक खरीदे जाते हैं. सारी तरफ उत्सव का माहौल रहता है. सरकार चाहेगी इस कार्य में जनता को सहयोग देने के लिए.
सारांश में यह है कि किसी भी हालात में सरकार रेडजोन में कोई भी बंदिशों में छूट देने की संभावना नजर नहीं आरही. दूसरी ओर ग्रीनजोन और औरेंज जोन में सरकार बंदिशों में बहुत ढील दे सकती है 3 मई के उपरांत. लेकिन सोसयल डिस्टेसिंग और भीड भाड से बचने का कदम तो सरकार कहने की संभावना है.
परिवहन में भी बसों को कुछ शर्तो के साथ चलाने का आदेश सरकार दे सकती है. आहिस्ता आहिस्ता सरकार बंदिशें हटा सकती है. यह ओडिशा और देश के हित में ही होगा. जनता भी राहत भरी साँस ले सकेगी.