क्रांति ओडिशा न्यूज
अखिल भारतीय कांग्रेस
1885 से 2020 ,अभी तक
उत्थान, शासन और पतन
चौबीसवीं कडी. नन्द किशोर जोशी
1973,1974 से इंदिरा में एकछत्रवाद की भावना प्रबल होने
लगी.इंदिरा कांग्रेस में चाटुकारों को बढावा देने लगी.सरकार में भी
चाटुकार हावी होते गये.
इसी बीच बिहार में स्वाधीनता सेनानी जय प्रकाश नारायण के
नेत्रित्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ
जोरदार जन आंदोलन खडा किया गया. यह आजाद भारत में
भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बडा
जन आंदोलन था.
धीरे धीरे भ्रष्टाचार के खिलाफ सारे देश भर में जन जागरण
अभियान चलाया गया. आचार्य
जेबी कृपलानी भी इसमें अग्रणी
भूमिका में थे.देश भर के सारे
विपक्षी नेता इसे हवा देने में लगे
थे.
इधर भ्रष्टाचार के खिलाफ जेपी की मोर्चा बंदी चल रही थी,तभी
एक समाचार आया कि रायबरेली
क्षेत्र से इंदिरा का लोकसभा चुनाव रद्द हुआ.इलाहाबाद हाइकोर्ट के उस समय जज थे
जग मोहन लाल सिन्हा ,जिन्होंने
जून,1975 में इंदिरा के खिलाफ
जजमेंट देते हुए कहा कि इंदिरा ने
लोकसभा का चुनाव जीतने के
लिए गैरकानूनी ढंग से कार्य किया
है.इस केस में इंदिरा के प्रतिद्वंद्वी
राजनारायण की जीत हुई.
इंदिरा ने इन सब बातों के मद्देनजर 25 जून ,1975 को देश
में इमरजेंसी लगादी. नागरिकों के
अधिकार छीने गये.प्रेस पर पाबंदी
लगी.बिना सरकारी अफसर की
अनुमति के अखबार नहीं छपते थे. चारों तरफ़ अराजकता थी.
पुलिस ढूंढ ढूंढ कर विरोधी दल के
नेताओं को गिरफ्तार करने लगी.
देश के सारे छोटे बडे विरोधी नेता
जेल भेज दिये गये.इंदिरा के कनिष्ठ पुत्र संजय गांधी का आविर्भाव हुआ. जबरन नसबंदी
खूब चली.कांग्रेस के सभापति थे
उस समय देवकांत बरुआ.उन्होंने
चापलूसी भरा नारा दिया इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा .
एक दिन अचानक फरवरी 1977
में इंदिरा ने लोकसभा चुनाव की
घोषणा करवा दी.सारे विपक्षी नेता जेलों से रिहा हुए.मार्च में
लोकसभा चुनाव तय था.चुनाव
मार्च के तीसरे सप्ताह में हुए.
विपक्षी लोग जय प्रकाश नारायण
के नेत्रित्व में एकजुट हुए.चुनाव में
जनता पार्टी के चुनाव चिह्न में विपक्षी लडे.उत्तर भारत में जनता
पार्टी की शानदार जीत हुई. खुद
इंदिरा रायबरेली से लोकसभा चुनाव हार गयी.
मोरारजी देसाई भारत के प्रथम
गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने 1977
में.जनता पार्टी में आपसी गुटबाजी तेज हुई.चरण सिंह प्रधानमंत्री बने. आपसी फूट की
वजह से और कांग्रेस के दांवपेच
की वजह से चरण सिंह सरकार
1979 में गिर गयी.
देश में फिर 1980 में चुनाव हुए.
इंदिरा फिर से कांग्रेस के बहुमत के आधार पर देश की प्रधानमंत्री
बनी.1980 में ही संजय गांधी का
एयर क्रेश में निधन हुआ.इंदिरा ने
बडे बेटे राजीव की एंट्री राजनीति
में कराकर उन्हें कांग्रेस के जेनेरल
सेक्रेटरी नियुक्त किया.
इसी बीच पंजाब में पाकिस्तान
प्रायोजित आतंकवाद फैला.इंदिरा
ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सेना का प्रवेश छिपे आतंकवादियों को निकालने के लिए किया. खूनखराबा बहुत हुआ .सिख कौम इससे नाराज हुई.अंत में 31,ओक्टोबर,1984 क़ो तीन सिख सुरक्षा कर्मियों के
द्वारा इंदिरा की हत्या कर दी गयी.
इंदिरा के जीवन का आखिरी भाषण 30 ओक्टोबर,1984 में
भुवनेश्वर में हुआ था.इसे मैंने भी
दोस्तों संग सुना था.राजीव देश
के नये प्रधानमंत्री हुए1984
ओकटोबर कोही.
सारा देश इंदिरा के अचानक हत्या
के कारण शोक में डूबा हुआ था.
भारत भर में सिखों के खिलाफ
जन आक्रोश फैला.हजारों सिख
मारे गये.इंदिरा की हत्या के बाद
राजीव और कांग्रेस की पक्ष में
शोक लहर पूरे देश में बह रही थी.
राजीव ने लोकसभा के चुनावों का
एलान करवा दिया. चुनाव में
तीन चौथाई बहुमत के साथ क्षमता में आयी.राजीव प्रधानमंत्री
बने.इस चुनाव में वाजपेयी समेत
कांग्रेस के सामने सारे विपक्षी नेता
हार गये.क्रमशः