कश्मीर फ़ाईलस पर इतना प्रतिवाद क्यों ?-श्याम सुन्दर पोद्दार, महामन्त्री, वीर सावरकर फ़ाउंडेशन

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Er. Shyam Sundar Poddar

हमारे देश में गांधीवादी धर्म निरपेक्षता का राज पिछले १०० वर्ष से चल रहा है। गाँधी ने स्वतंत्रता आंदोलन को स्वराज प्राप्ति करने के बजाय मुसलमानो के अधिकारो की प्रतिस्ठा व मुस्लिम राज स्थापित करने के लिये ख़िलाफ़त आन्दोलन से आरम्भ की थी। गाँधी वादी धर्म निरपेक्षता का मतलब है हिन्दुओं का उत्पीड़न, हिन्दुओं का नरसंघार,हिन्दु नारियों का बलात्कार, हिन्दु मन्दिरो की तोड़फोड़, ख़िलाफ़त आंदोलन की बिफलता से मुस्लिम राज स्थापित करने में जब मुस्लिम समाज बिफल रहा तो सारे भारत में हिन्दु समाज पर हमला आरम्भ कर दिया। जिसका बीभत्स स्वरूप केरल के मोपला आक्रमण के रूप में देखने को मिला १०००० से अधिक हिन्दुओं की हत्या की गई, हज़ारो हिन्दु स्त्रियाँ बलात्कार की शिकार हुवि,हज़ारों मन्दिर तोड़े गये १ लाख से अधिक हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराया गया। हिन्दु मुस्लिम एकता के बिना स्वाधीनता मिलना असम्भव है कहने वाले गाँधी ने मुसलमानो द्वारा हिन्दु समाज पर किये गये इन अत्याचारों को उचित ठहराया तथा ऐसा करने वाले मुसलमानो की प्रशंसा की की उन्होंने कोई ग़लत काम नही किया अपने धर्म के हिसाब से जो करना चाहिये था वह ही किया।

जब १९४७ में २१ लाख हिन्दुओं का पाकिस्तान में नरसंघार हुवा, उस को किसी समाचार पत्र ने जनता के सामने लाने का प्रयास किया तो उनके इस कदम को हिन्दु मुसलमानो को लड़ाने वाला कदम माना जायेग व उन पर कठिन आर्थिक दण्ड लगाया जायेगा तथा प्रेस सेक्यूरिटी धारा लगा दी गई। जर्मन को हम नाज़ी कह कर गाली देते है। पर नाज़ियों का गणतंत्र इतना सुन्दर है यहूदियों का नरसंघार जिसे शोहा कहा जाता है उस पर हज़ारों पुस्तकें प्रकाशित हो गई है पुरी की पुरी लाइब्रेरी पुस्तकों से भर गई कई दर्जन फ़िल्म बन गई। पर हिन्दुओं पर हुवे इस अत्याचारोपर लिखना भारत में मुस्लिम समाज से हिन्दु समाज की लड़ाने वाली कार्यवाही होगी। इस भय से जर्मनी की तरह लिखा नही गया। सिर्फ़ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जिन पर गुज़री उनसे बात कर एक पुस्तक गुरुचरण सिंह तालिब ने निकाली “Muslim League attack on Sikh and Hindus in Punjab 1947”.रास्ट्रिय स्वयं सेवक संघ ने “ज्योति जले बिन प्राण के” लेखक-मानिक चंद बाजपेयी व श्रीधर पराड़कर, परंतु इस पुस्तक को काट छाँट कर धर्म निरपेक्षता के भय से बहुत छोटा कर दिया।

भारत में पाकिस्तान में हिन्दु नरसंघार के सामने भारत में छींटपुट घटना हुवी उसको वामपंथियों ने भीष्म शाहनी के उपन्यास तमस् पर फ़िल्म बना कर हिन्दु समाज को दोषी ठहराने का प्रयास किया। तो पाकिस्तान मानने होगा तभी देश स्वाधीन होगा मुस्लिम लीग के साथ कंधा से कंधा मिला कर लड़नी वाले कम्युनिस्ट हो या हिन्दुओं की हत्यावो को उचित ठहराने वाले गाँधी वादी कांग्रेसी हो उनको कश्मीरी फ़ाईलस के सामने आने से उनका सच सामने आने से इसका बिरोध आरम्भ कर दिया फ़िल्म आधा सत्य बताती है, हिन्दु मुसलमानो को लड़ाएगी इस लिये इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाय। फ़ारूख अब्दुल्ला के काले कारनामे सामने आ रहे है जिन्होंने गाव से केंद्रीय सुरक्षा बलों हो हटा कर हिन्दुओं को मारने का रास्ता खोल दिया व जब कश्मीरी हिन्दु मरने लगे व पलायन करने लगे मुख्य मन्त्री की कुर्सी छोड़ राज्य को अनाथ स्थिति में छोड़ कर बिदेश भाग गया। जगनमोहन पर दोष मढ़ रहा है अब उसका बेटा उमर अब्दुल्ला कहता है सत्य नही दिखाया गया। मुसलमान भी मारे गये।जबकि सच्चाई यह है राज्य से एक भी मुसलमान भगाया नही गया। ५ लाख हिन्दु भगाये गये जिसमें से अभी भी ३२ वर्ष बाद भी शरणार्थी केम्प में रह रहे है।

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