नन्द किशोर जोशी
रुस से भारत की दोस्ती ऐतिहासिक है,प्रगाढ़ है.रुस ने हमेशा भारत से दोस्ती निभाई है,अंतरराष्ट्रीय महल में हमेशा रुस ने संकट की घडी में भारत का साथ दिया है.रुस ने कभी भी भारत का साथ नहीं छोडा,हमेशा हर मोर्चे पर भारत के साथ खडा दिखाई दिया.
ऐसे में रुस-भारत की पक्की दोस्ती जग जाहिर है.पिछले 75 सालों में पुराने सोवियत संघ और आजके रुस ने अनेकों अनेकों सरकारें देखी है,सरकारी नीतियों को बदलते देखा है,अगर कोई एक चीज जो प्राचीन सोवियत संघ और आज के रुस में नहीं बदली तो वो है रुस संग भारत की प्रगाढ़ मित्रता.
ऐसे में रुस ने हमेशा से भारत संग प्रबल मित्रता पूर्वक व्यवहार किया ,सच्ची मित्रता निभाई, भारत की संकट की घडी में पाकिस्तान संग युद्ध की स्थिति में भारत के पीछे एक मजबूत चट्टान की तरह खडा रहा,पाकिस्तान, चीन तथा अमेरिका को हडकाया, भगाने में अति अपनत्व वाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के समय तथा 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध के समय यह वही रुस है जिसने चीन,पाकिस्तान, अमेरिका के खिलाफ और भारत के पक्ष में हमेशा संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के पक्ष में भाषण दिया तथा भारत के पक्ष में वीटो का प्रयोग किया और भारत विरोधी प्रस्तावों को धूल चटाने में भारत की मदद की.
1971 के भारत पाकिस्तान जंग के समय जब अमेरिका के बिगडैल राष्ट्रपति निक्सन ने इंदिरा गांधी और भारत को डराने, धमकाने के उद्देश्य से हिन्द महासागर में अमेरिका के सातवें बेडे को भेजा तब यही भारत का सच्चा हितैषी ,मित्र रुस ने मित्रता धर्म निभाते हुए अपनी सर्वाधुनिक पनडुब्बियों की एक खेप हिन्द महासागर में भेजी.
हिन्द महासागर में जब अमेरिका के सातवें बेडे के सामने रुसी पनडुब्बियों का बेडा आगया तथा रुसी पनडुब्बियों ने समुद्र के उपर अमेरिका के सातवें बेडे के ठीक सामने खडे होकर कायर ,बेईमान अमेरिका को ललकारा, तब अमेरिकी सातवां बेडा हिन्द महासागर से दूम दबाकर भागा,अपने गांव.
इसतरह रुस ने हमेशा संकट की घडियों में भारत का साथ दिया, भारत संग सहयोग किया ,सारे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर.
अब रुस यूक्रेन युद्ध के परिप्रेक्ष्य में रुस ने भारत से मदद माँगी,रुस का भारत से मदद माँगना भी हरहिसाब से,हरलिहाज से जायज है,उचित है.भारत ने भी रुस को मदद का भरोसा दिया, साथ दिया, मित्रता निभाई, यह भी भारत की दृष्टिकोण से हरहाल में जायज है.
बिगडैल, बदमाश, शैतान ,माफिया, बाहुबली,परम स्वार्थी ,मतलबी अमेरिका ने रुस यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर रुस के खिलाफ कई कडे प्रतिबंध लगादिये हैं तथा नाटो के अपने चमचों ,चेलों द्वारा भी रुस के खिलाफ कई कडे प्रतिबंधों को लगाने में कामयाब होगया है.
रुस की आर्थिक नाकेबंदी की कोशिश की है अमेरिका ने,जिससे रुस झुक जाये और अमेरिका की स्तुतीगान करने लगे,अमेरिका के सामने गिडगिडाये,अमेरिका की शान में कसीदे पढे.ये सब स्वाभिमानी रुस कभी करेगा नहीं तथा खुदगर्ज अमेरिका के सामने कभी झुकेगा नहीं.
युद्ध से जर्जरित रुस अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है,ऐसे में अपने सच्चे मित्र भारत को रुस ने 25% डिस्काउंट में पेट्रोल, डिजेल बेचने का प्रस्ताव दिया, पेमेंट भी भारतीय मुद्रा में लेने की बात कही,भारत ने भी मित्रता धर्म निभाते हुए ,अपनी 80% तेल की जरुरतों को पूरा करने के लिए रुस का साथ दिया तथा सरकार ने 2 सरकारी तेल कंपनियों को आदेश दिया रुस से तेल खरीदने के लिए, आदेश का पालन करते हुए,सरकारी कंपनियों ने तुरंत डिस्काउंट में अरबों रुपयों का रुस से तेल खरीदा.
इसतरह संकट की घडी में भारत ने भी अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह किये बिना रुस से तेल खरीदा ,राष्ट्र की जरुरतों को पूरा करने के लिए.भारत सरकार ने रुसी तेल ठीक समय पर खरीद कर एक तरफ जहां राष्ट्रीय धर्म निभाया, वहीं दूसरी ओर स्वार्थी अमेरिका को भी संकेत देदिया कि हम तुम्हारे बहकावे में ,उकसावे में आनेवाले नहीं हैं,राष्ट्र धर्म ही भारत का प्रथम धर्म है ,जिसे मोदी सरकार ने बडी बहादुरी से,बखुबी से शानदार तरीक़े से निभाया है.