क्रांति ओडिशा न्यूज
अखिल भारतीय कांग्रेस
1885 से 2020 ,अभी तक
उत्थान, शासन और पतन
बीसवीं कडी.नन्द किशोर जोशी
भारत के संविधान के अनुसार देश में पहला आम चुनाव लोकसभा और प्रदेशों की विधानसभाओं का एक संगमें
1952 में हुआ. उस समय कांग्रेस का चुनाव चिह्न दो बैलों की जोडी का था.
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत प्राप्त हुआ. नेहरु देश के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने. कांग्रेस को 45 प्रतिशत वोट मिले. दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस की सरकारें बनी. भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन की अगुवाई में यह चुनाव हुए. इस लोकसभा का पहला सत्र 13 मई, 1952 को आरंभ हुआ.
दूसरा आम चुनाव लोकसभा और विधानसभाओं का 1957 में हुआ. इसकी चुनावी प्रक्रिया 24 फरवरी से 9 जुन तक चली. कांग्रेस फिर बहुमत प्राप्त कर देश और राज्यों में सरकार बनायी. नेहरु एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बने. कांग्रेस 48 प्रतिशत वोट पायी.
उसी तरह देश में 1962 में तीसरा लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव संपन्न हुआ. फिर से देश और प्रांतों में कांग्रेस की सरकारें आयी.नेहरु फिर प्रधानमंत्री बने. इस तरह नेहरु तीन बार निर्वाचित प्रधानमंत्री के
तौर पर शपथ लिए.
नेहरु ने मई 1964 को अंतिम साँस ली. लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने. नेहरु के समय
की कुछ अच्छी और गलत बातें इस प्रकार हैं –
पहले अच्छे कामों के बारे में कहता हूँ –
नेहरु ने देश की प्रगति हेतु योजना आयोग का गठन किया. देश की प्रगति के लिए पंच वर्षीय योजनाएं बनी.देश क़ो इससे सुफल मिला.
बडे बडे स्टील कारखाने देश में खडे किये गये.राउरकेला स्टील कारखाना भी इसी समय ओडिशा में बना. इन सबसे देश को बहुत लाभ हुआ.
आइआइटी की स्थापना देश के अनेक जगहों पर हुई.इससे देश को कुशल इंजीनियर बडी संख्या में मिले. प्रगति में सहायक हुए.
अब कुछ गलतियां बता रहा हूँ –
गांधीजी एक बार बोले थे कि मैं देश की आजादी से बडी गौहत्या बंदी को मानता हूँ. कांग्रेस की सरकार का पहला कर्तब्य होना चाहिए संपूर्ण गौ हत्या बंदी. नेहरु ने इस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया.
नेहरु ने अपनी बेटी इंदिरा क़ो कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त कराया. यहीं से भारत में वंशगत राजनीति की शुरुआत हुई. गणतांत्रिक देश में यह शोभा नहीं पाता.
हिंदी को नेहरु ने कभी बढावा नहीं दिया. इससे हिंदी उपेक्षित ही रही. कभी उसे सम्मान जनक स्थान नहीं मिला.
नेहरु ही कश्मीर की सारी समस्या की जड है. उन्होंने पटेल की इस संबंध में राय लेना उचित नहीं समझा. देश आज इसे भुगत रहा है.
नेहरु की गलती से ही भारत चीन के साथ युद्ध में 1962 में हारा,जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था.भारत की सैन्य तैयारी बिल्कुल भी नहीं थी. चीन आज भी हजारों मील एरिया भारत का तब से कब्जाये हुए है.
क्रमशः