क्रांति ओडिशा न्यूज
अखिल भारतीय कांग्रेस
1885 से 2020 ,अभी तक
उत्थान, शासन और पतन
सत्रहवीं कडी. नन्द किशोर जोशी
महात्मा गांधी को जुन 1944 में जेल से रिहा कर दिया गया. एक के बाद एक सारे बडे कांग्रेसी नेता जेलों से रिहा हुए.अंग्रेजों के तेवर ढीले पड चुके थे.उन्हें मालूम होगया कि अब भारत से बोरिया बिस्तर बांधकर ब्रिटेन जाने का
समय आगया.
अतः उन्होंने जाते जाते हिंदू मुसलमानों में विभाजन को हवा दी. मुस्लिम लीग के जिन्ना अविभाजित भारत के प्रधानमंत्री बनने की शर्त रखी. इसे नेहरू और पटेल ने नामंजूर किया.
कांग्रेस दल में भी कौन प्रधानमंत्री होगा चर्चा चलने लगी. नेहरु और पटेल दो ही दावेदार थे.कांग्रेस की सभी प्रदेश समितियों से गुप्त रुप से एक ही नाम को प्रस्ताव भेजने
के लिए कहा गया.
बडे आश्चर्य की बात है कि एक भी प्रदेश कांग्रेस समिति ने नेहरु का नाम चयन नहीं किया. तीन प्रदेश समितियों ने अखिल भारतीय कांग्रेस पर नेता चयन का भार सौंप दिया. बाकी बचे सारे प्रदेश समितियों ने पटेल के नाम का चयन किया. लेकिन केवल गांधी ने नेहरु के नाम को चयन किया. गांधीजी के सम्मान के लिए सारे चुप रहकर समर्थन
किये.
जाते जाते अंग्रेज भारतीयों में सांप्रदायिक जहर घोलने में सफल रहे. ज्यूँ ज्यूँ आजादी नजदीक आने लगी दोनों कौम में दंगे बढने लगे. सारे देश में उथल पुथल मची.जो कल तक एक दूसरे के पडोसी थे ,वे आज खून के प्यासे
होगये. सारा देश अशांत हुआ.
अंत में धर्म के आधार पर देश बंटा.दो देश हुए भारत और पाकिस्तान . फिर पाकिस्तान भी दो हिस्सों में रहा.एक पूर्वी और दूसरा पश्चिम पाकिस्तान.
सारे देश में हिंदू मुसलमानों में दंगे भडके.हिंदुओं का ज्यादा नुकसान हुआ. हिंदू और मुसलमान लोगों में घर छोडकर दूसरे देश में आना जाना कई दिनों
तक चलता रहा. लोग शरणार्थी भी बनने को विवश हुए.
अंत में 14 अगस्त को पाकिस्तान आजाद हुआ. 15 अगस्त को भारत आजाद हुआ. नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री बने. पटेल गृह मंत्री बने. संसद के सेंट्रल होल में
आधी रात को शपथग्रहण हुआ.
क्रमशः