अखिल भारतीय कांग्रेस 1885 से 2020 ,अभी तक उत्थान, शासन और पतन बारहवीं कडी. नन्द किशोर जोशी

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क्रांति ओडिशा न्यूज
अखिल भारतीय कांग्रेस
1885 से 2020 ,अभी तक
उत्थान, शासन और पतन
बारहवीं कडी. नन्द किशोर जोशी

मैंने इन्हीं कडियोंमें 1920 तक के
अखिल भारतीय कांग्रेस के प्रमुख
अध्यक्षों के नाम आपको बताये हैं.आज 1920 के बाद के प्रमुख
अध्यक्षों के नाम आपको बताने जा रहा हूँ.अब आगे .

1921-देशबंधु चित्त रंजन दास
1922- वही
1923- अबुल कलाम आजाद
1924-महात्मा गांधी
1925-सरोजिनी नायडू
1928-मोतीलाल नेहरु
1929और 1930- जवाहर लाल
नेहरु
1931-सरदार वल्लभभाई पटेल
1932-महामना पंडित मदन मोहन मालवीय
1934 और 1935-राजेंद्र प्रसाद
1936और 1937-जवाहर लाल
नेहरु
1938-नेताजी सुभाषचंद्र बोस
1939-नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने
इस्तीफा दिया.
1939-राजेंद्र प्रसाद

उपर लिखित सारे महानुभावों ने
अपने अपने शक्ति और सामर्थ्य
अनुसार कांग्रेस के अंग्रेज विरोधी
आंदोलन को आगे बढाया. सारे
भारत में कांग्रेस की स्वीकार्यता
बढगयी.

पूरे अखंड भारत में कांग्रेस घर घर में पहुंच गयी.कांग्रेस दिनों दिन लोकप्रिय होती गयी.उस समय कांग्रेस के प्रमुख नारे थे,
महात्मा गांधी की जय.वंदे मातरम. भारत माता की जय.

वंदेमातरम और भारत माता की जय के नारे दरअसल प्रसिद्ध लेखक ,देशभक्त बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की पुस्तक आनंद मठ से लिए गये हैं.

आजादी आंदोलन के समय कांग्रेस में नरमदल और गरमदल
में आपस में संग्राम को लेकर अक्सर मतभेद होते रहतेथे.
नरमदल के नेताथे गांधीजी, नेहरु. वहीं गरमदल के नेताथे
सुभाष चंद्र बोस.

1938 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर दोनों धडों में आपस में
खूब तनातनी हुई.सुभाषचंद्र बोस
सभापति के लिए उम्मीदवार हुए.
वहीं गांधीजी ने सुभाष के खिलाफ अपना उम्मीदवार मैदान
में उतारा. गांधीजी के उम्मीदवार
पटाभीसिताभी रामैया की करारी
हार हुई. सुभाष बोस बहुत अधिक वोटों से जीते.सभापति बने .

1939 में सुभाष बोस ने आजादी
आंदोलन को लेकर गांधीजी से तीव्र मतभेद के कारण कांग्रेस के
सभापति पद से इस्तीफा दे दिया.
राजेंद्र प्रसाद सभापति बने.

सुभाष चंद्र बोस कांग्रेस से अलग
होगये. उन्होंने गरम पंथियों की एक अलग पार्टी बनायी.इस दल का नाम है फोरवार्ड ब्लोक.बंगाल
और ओडिशा में यह दल काफी
सक्रिय रहा आजादी आंदोलन में,
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के मार्ग
दर्शन में.क्रमशः

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