सच्चाई कभी छुप नहीं सकती
बनावट के उसुलों से
पुरी,श्रीजगन्नाथ मंदिर का फंड करीब 600 करोड़ रुपया है.यह फंड बैंक में दो अलग अलग खातों में जमा है. सरकार का नियम है कि सरकार के सारे पैसे
और खाते किसी भी सरकारी बैंक
में ही होने चाहिये.
श्रीजगन्नाथ मंदिर कार्यालय प्रशासन का मुखिया एक आइएएस अधिकारी होता है, जिसे राज्य सरकार नियुक्त करती
है .इनका काम है मंदिर का काम
सुचारू रुप से चलाना.
एक आइएएस अधिकारी प्रदीप
कुमार महापात्र मुख्य प्रशासनिक
अधिकारी बन पुरी आये और मंदिर का सारा पैसा सरकारी बैंक
से निकाल प्राइवेट बैंक में रखा दिये.
बात तब खुली जब मंदिर की चारों ओर सुरक्षा और सौंदर्य वृद्धि
के लिए घरों का तोडफ़ोड़ जारी है
70 मिटर एरिया तक. सरकार
जिनकी जगह ली ,उनको क्षति पूर्ति करोड़ों में मिली.जमीन के
मालिकों को क्षति पूर्ति मिलते ही
उनके पास प्राइवेट बैंक के अधिकारी पहुंचने लगे और एक से बढिया एक ओफर देने लगे.
बोले आप हमारी बैंक में पैसा रखोगे तो हम आपको विदेश भ्रमण भी करादेंगे ब्याज के अलावा. अब क्षतिग्रस्त लोग आपस में बात कर रहे हैं कि अगर एक दो.करोड़. में विदेश
भ्रमण कराने की बात होरही तो
जिस आइएएस अधिकारी ने
600 करोड़ प्राइवेट बैंक में रखाये,वह तो पृथ्वी भ्रमण कई
बार कर लिया होगा ः
पैसा खाने का एक नया तरीका
सामने आया, सरकारी जाँच जारी.