कटक डेस्क : ओडिशा बीजेपी की हालत अन्दर से काफी सुस्त है। आपसी गुटबाजी में कोई कमी नहीं है। अमित शाह का सपना 120+ अधूरा ही रह गया। ऐसे में अभी- अभी समाप्त विधानसभा चुनाव में बीजेपी के तेईस सदस्य विधानसभा में नम्बर दो की स्थिति पर हैं। लेकिन बीजेपी चुप है। विधानसभा में अपनी ओर से कोई शोर शराबा नहीं है। चुने हुए विधायकों का मानना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में दस विधायक बीजेपी टिकट पर चुनकर आए थे, लेकिन दसों के दसों इस बार चुनाव हार गए। अब वर्तमान विधायकों में यह धारणा जोर से पकड़ गयी है कि शोर मचाने से, हल्ला गुल्ला करने से अगले बार चुनाव हारने की संभावना है। अतः सबसे भला चुप रहो। बिजेडी से हाथ मिलाकर चलो, इसी में भलाई है। ऊपर से आला कमान का निर्देश इसी प्रकार है। अतः बीजेपी मुख्य विरोधी दल विधानसभा में होते हुए भी विपक्ष की भूमिका से कोसों दूर है। इस तरह बीजेपी के भविष्य के लिए आगे ख़तरे की घंटी दिखती है। विपक्ष और सरकार में मिलीभगत हो तो गणतंत्र के लिए भी शुभ संकेत नहीं है।
सबसे भलाचुप- ओडिशा बीजेपी
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